शनिवार, 23 मार्च 2013

CULTIVATE----HAMP---- HIMALAYAN AROMATIC and MEDICINAL PLANTS-

-It is a matter of fact that in most parts of mountain 
regions within Himalaya, the agriculture is sub marginal except in rare small pockets of fertile valley land. Because of further division of already very small land holding the return from agriculture is on decline. It is progressively and miserably failing to full time employment and adequate income to the rising population. Therefore, migration from the rural areas of mountain is motivated largely by economic pressure and better amenities and facilities in urban areas. Due to this reason the women of the rural areas are backbone and very hub of agriculture practices. This process has to be arrested in the larger interest of nation. Any strategy of development must necessarily taken into account the living condition of the local populace. Ergo we must also cum diverting surplus population from traditional agriculture practice by alternative gainful employment what striving for rational utilization of the biodiversity and rapid all round development. Therefore, in this connection the cultivation of promising MAPs will not only yield far-reaching lucrative results but will also prove a vital point in creating job opportunities as well as uplifting the socio-economic condition of the mountain people.

रविवार, 10 मार्च 2013

linum usitatissimum plants or अलसी ( एक चमत्कार )


अलसी एक चमत्कारी आहार है। इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। अलसी में ओमेगा३ पाया जाता है। यह हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ओमेगा३ शरीर के अंदर नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है। शाकाहारियों के लिए अलसी से अच्छा इसका कोई और स्रोत नहीं है।अलसी टीबी, कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कब्ज, बवासीर, जोड़ों का दर्द, एग्जिमा, ब्रिटल नेल एण्ड ब्रिटल हेयर जैसे नाना प्रकार के रोगों से आपको बचा सकती है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है और खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है। धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को साफ करती है। पेट की सफाई करती है। अर्थात यह प्रकृति का सफाई आहार है।
अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है। एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें। सर्दी, खाँसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है।

introduction




नमस्कार मेरा सभी बड भैजी  दीदियों , छुटु  भाई  भूलियों त ! औषिधि कु ज्ञान धारा  मा आप सभी कु सादर स्वागत च !
आज कु भागदौड़ भरी जिन्दगी मा  हमते अपर स्वास्थ्य की जरह भी परवाह  नि रांदी  जैक वजह से  बुढापा से पेल ही दवई  पर जीन परद ! भाँती भाँती कु रोग मा सबसे ज्यादा मधुमेह कु रोग चिंता कु विशे बन्यू च ! विश्व मा  80 % कु आबादी ये से ही दुखी च ! अस्त व्यस्त जीन कु  अंदाज , खाण  पीण मा लापरवाही हमर स्वास्थ्य त पंगु बनाण पर लग्युं च ! बड़ों की दगडी आजकल  छुटु  बच्चों भी एसे परेशान छन ! 
हमर  प्रदेश मा जड़ी बूटी अर  वैकु ज्ञान कु कुई कमी नि च ! कमी त  बस जागरूकता कु च !  जय भी घरों मा  जड़ी बूटियों कुण प्रेम हूंद वख परिवार निरोगी  छन किलैकी जब जय भी रोग माँ वू लोग पीड़ित हवाल त  उनते अपर इलाज वास्ता कखी  भगण  नि पर्दी ! पण  आधुनिकता कु दौड़ मा लोग अप्रि औषधीय ज्ञान कु तिलांजली दीना छन !अर  वू भी अंग्रेजी द्वी वास्ता जैसे तुरंत आराम दीन वाल समझी जान्द ! पण  वैकी  दगडी  न जाने कतका होर  बीमारी हम अपर गल  लगा लेनदछौ    ! अर फिर शुरू वैह  जंद च अनंत दवई  कु सिलसिला ,समय अर धन की बर्बादी भी ! जन बोल्दन छन पेल स्वास्थ्य फिर परमार्थ त  हम सभियुं त  सजग हूण पडल ! औषधीय जानकारी एक दूसरा तक पहुंचान कुण  लोग्युं कु रूचि वैकी  विस्तारं मा जरूरी च ! काफी शोध अर  लोगों दगड सम्पर्क करण कु बाद जू औषधि मैत्ते  मधुमेह वास्ता बढ़िया लगी वेते  मी आपकू समक्ष  रखना रौलू !